उन्नीसवीं सदी के महान् दत्तावतारी संत ..श्री. वासुदेवानंदसरस्वती (टेम्बे) स्वामीमहाराज के जीवन, कार्य तथा ग्रंथों का प्रचार एवं प्रसार करने के हेतु, 19 ऑक्टोबर, 2002 (कोजागिरी पौर्णिमा) के शुभ दिन पर, श्रीमहाराज के पावक समाधिक्षेत्र श्रीगरुडेश्वर में, भारत की प्रमुख श्रीदत्तसंस्थाओं कि प्रतिनिधियों ने.. श्री. वासुदेवानंद सरस्वती (टेम्बे) स्वामी महाराज प्रबोधिनीकी स्थापना की।  पचास वर्ष पूर्व हैद्राबाद (आं.प्र) में श्रीस्वामीमहाराज की जन्मशताब्दि के अवसर पर उन के संपूर्ण वाङ्मय का प्रकाशन करते हुए .पू. योगीराज श्री. वामनरावजी गुळवणी महाराज जी ने इस प्रकार की एक अखिल भारतीय संस्था हो ऐसा विचार प्रकट किया था। उसी को दृष्टि में रखते हुए यह प्रबोधिनी के प्रमुख उद्देश निश्चित किए गये।
.. महाराजश्री के समग्र ग्रंथों का प्रकाशन, इन ग्रंथों का विविध भाषाओं में अनुवाद  
संगणक तथा इंटरनेट् जैसे आधुनिक माध्यमों के द्वारा महाराजश्री के जीवन, कार्य तथा साहित्य का प्रसार
महाराजश्री के ग्रंथों के अध्ययन और संशोधन के विषय में विद्यापीठ और महाविद्यालयों को उद्युक्त करना तथा इस विषय में उन्हें पर्याप्त सहयोग देना, जिस के  फलस्वरूप महाराजश्री के साहित्य का अभ्यासक्रमों में समावेश हो सकें
इस प्रबोधिनी में अधिकाधिक श्रीदत्त संस्थानों को समाविष्ट कर महाराजश्री के साहित्य के प्रकाशन, प्रचार तथा वितरण में उन की साह्यता प्राप्त करना। इन सब संस्थाओं को सौहार्दपूर्ण सूत्र में गठित कर के श्रीदत्तसंप्रदाय के विकास में कार्यान्वित करना
.. श्रीस्वामीमहाराजश्री का संचार आसेतुहिमाचल हुआ है। जिन स्थानोंपर महाराजश्री का निवास हुआ - विशेष कर के उन के चातुर्मास जहाँ जहाँ संपन्न हुए, उन स्थानों में उन के स्मारक का निर्माण करना तथा उस की नित्य पूजा एवं महाराजश्री के वाङ्मय और तत्त्वज्ञान के प्रचार की सुविधा करना
2002 के बाद पांच और वार्षिक अधिवेशन अनुक्रम से श्रीक्षेत्र कारंजा, श्रीक्षेत्र पीठापूर, श्रीक्षेत्र नारेश्वर, श्रीक्षेत्र नरसोबावाडी  तथा श्रीक्षेत्र माणगांव में संपन्न हुए। उपरिनिर्दिष्ट संकल्पों की पूर्ति श्रीदत्तस्वरूप श्रीस्वामीमहाराज की असीम कृपा से हो रही है।

श्रीस्वामीमहाराज की यशःकाय पुस्तक, वेब् साइट् और सीडी-रॉम इन तीनों रूपों मे उपलब्ध हो गई है। महाराजश्री के सभी ग्रंथ, स्तोत्र, प्रकरण, भाष्य और स्वोपज्ञ टीकाएँ अब सुलभता से प्राप्त हो सकती हैं। अब श्रीस्वामीमहाराज के वाङ्मयप्रसार का हमारा अगला पडाव आरंभ होता है। यह सभी रचनाएँ भारत की विविध भाषाएँ तथा आँग्लभाषा में अनुवादित करना हमारा सांप्रत कर्तव्य है।  इस दिशा में भी विविध संस्थाओं द्वारा लक्षणीय कार्य संपन्न हुआ है। .. महाराजश्री के प्रायः सभी ह्रंथों के अनुवाद मराठी तथा गुजराथी भाषाओं में उपलब्ध हैं। हाल ही में द्विसाहस्री संहिता का हिंदी अनुवाद प्रकाशित हुआ है। .. महाराजश्री की द्विसाहस्री तथा समश्लोकी संस्कृत संहिताएँ आंध्र लिपी में उपलब्ध हो गयी हैं। श्रीदत्तचंपू तथा श्रीदत्तपुराण का आंग्ल भाषा में अनुवाद का कार्य आरंभ हुआ है। नागपूर के स्वामीभक्त श्री वासुदेवजी चोरघडे काश्रीकृष्णालहरीका अनुवाद प्रकाशनपथ पर है। किंतु अभी अधिक तर कार्य शेष है।

इसी प्रकार श्रीस्वामीमहाराज की वेब् साइट्स्वामीधामका पर्याप्त विकास हुआ है। उस का लाभ देशविदेश के भक्त और अभ्यासक उठा रहे हैं। इस साइट् (धाम) का विकास कर के प्रबोधिनी की घटक संस्थाओं का उस में समावेश करना तथा इस में -कॉमर्स् की सुविधा उपलब्ध करा कर विविध संस्थाओं द्वारा निर्मित ग्रंथ, सी.डी., कॅसेट् आदि के वितरण की व्यवस्था करना आदि बहुत से कार्य शेष हैं।

.. महाराजश्री के चातुर्मास्य स्थानों के विकास की दिशा में भी हमारे प्रयत्न सफल होते दीख रहे हैं। पवनी तथा मुक्त्याला में ऐसे स्मारक के निर्मिती का आरंभ हो गया है। यह भी .. श्री. महाराजश्री की कृपा का ही एक संकेत है।

यह श्रीस्वामी महाराज के कार्य को विविध अंगों से बढाने  का उत्तरदायित्व हम सब भक्तों का  है। इन सब कार्यों के लिये काफी धन की आवश्यकता है। हम सब स्वामीभक्तों की उदारता से ही इस की पूर्ति हो सकती है। प्रबोधिनी से संलग्न अधिकतर संस्थाओं से भी आर्थिक साह्य की अपेक्षा है।  महाराजश्री के भक्त रु.11000.00 (ग्यारह हजार केवल) या अधिक राशी दे कर आश्रयदाता का सन्माल पाएँगे।  इसी प्रकार 5000रु. की राशी देनेवाले प्रबोधिनी के आजीव सदस्य हो सकते हैं।

आप जैसे उदार, सत्प्रवृत्त सज्जनों के कायिक, मानसिक तथा आर्थिक सहयोग की नितांत आवश्यकता है। इस कार्य से भारत का सांस्कृतिक, आध्यात्मिक तथा सामाजिक विकास होगा। .. श्री. वासुदेवानंद सरस्वती (टेंबे) स्वामी महाराज के श्रीदत्तसमर्पित जीवन द्वारा प्रवाहित श्रीदत्तभक्ती की पावन गंगा में आप भी अधिकतम योगदान दे कर उत्तम श्रेय के भागी हों यही विनम्र प्रार्थना है।
.. श्री. वासुदेवानंद सरस्वती (टेम्बे) स्वामी महाराज प्रबोधिनी